नई दिल्लीः देश में बाढ़ का खतरा लगातार गहराता जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 21 नदियों में गंभीर बाढ़ की स्थिति है, जबकि 33 अन्य नदियां सामान्य से ऊपर बह रही हैं। सोशल मीडिया पर कई तरह की तस्वीरें बाढ़ को लेकर आ रही है। पानी में तैरती लकड़ियों के वीडियोज भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है और सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट इस मामले में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों में कटी हुई लकड़ी के लट्ठों के तैरने की हालिया रिपोर्टों पर चिंता जताते हुए कहा कि यह तस्वीरें क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से हो रही पेड़ों की कटाई का संकेत देती हैं। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आईं थीं। पहली नजर में ऐसा लगता है कि पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। सॉलिसिटर जनरल इस पर ध्यान दें। यह एक गंभीर मुद्दा प्रतीत होता है। बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे इधर-उधर गिरे हुए देखे गए और ये पेड़ों की अवैध कटाई को दर्शाता है। हमने पंजाब की तस्वीरें देखी हैं। पूरा खेत और फसलें जलमग्न हो गई हैं। विकास को राहत उपायों के साथ संतुलित करना होगा।”
इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को आश्वासन देते हुए कहा कि इस मामले को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है और वह पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतना हस्तक्षेप किया है कि अब प्रकृति हमें जवाब दे रही है। मैं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करूंगा और वह मुख्य सचिवों से बात करेंगे। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”