रायपुर: Raipur Police Commissionerate News: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के 15 अगस्त की किये गए वादे पर अमल शुरू हो गया है। सीएम ने इसी साल के स्वतन्त्रता दिवस पर दिए गए अपने सम्बोधन में जल्द ही रायपुर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किये जाने की बात कही थी। वही अब इस मामले पर सरकार ने समिति का गठन कर दिया है।
Raipur Police Commissionerate News: राज्य सरकार ने रायपुर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने 7 सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में सीनियर एडीजी प्रदीप गुप्ता को प्रमुख बनाया गया है। बताया जा रहा है कि इसी साल राज्योत्सव यानी एक नवम्बर से रायपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू कर दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में यह प्रणाली लागू होने वाला रायपुर पहला जिला होगा।
Read More : नेपाल में जारी हिंसा के बीच एक्शन में CM योगी, यूपी पुलिस को दिया ये बड़ा निर्देश
कौन होगा रायपुर का पहला पुलिस कमिश्नर?
रायपुर में पुलिस कमिश्नरेट लागू करने की कवायद के बीच अब पहले कमिश्नर और पुलिस को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। इस दौड़ में फ़िलहाल आधा दर्जन आईपीएस अफसरों के नाम सामने आये है। इनमें सभी आईजी लेवल के अफसर शामिल है। जिन नामों पर चर्चा है उनमें अजय यादव, अमरेश मिश्रा, बद्रीनारायण मीणा और संजीव शुक्ला जैसे आईपीएस के नाम शामिल है।
Read More : Trump-Modi Meeting: टैरिफ विवाद के बीच जल्द आमने-सामने होंगे ट्रंप-मोदी, हो सकती है मुलाकात
क्या होता कमिश्नर सिस्टम?
Raipur Police Commissionerate News: यह कमिश्नर व्यवस्था में सर्वोच्च प्रशासनिक पद है। यह व्यवस्था अमूमन महानगरो में होती है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के ज़माने की है। पहले यह व्यवस्था कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में थी जिन्हें पहले प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। बाद में उन्हें महानगरीय शहरों के रूप में जाना जाने लगा। इन शहरों में पुलिस व्यवस्था तत्कालीन आधुनिक पुलिस प्रणाली के समान थी। इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है। पुलिस आयुक्त महानगरीय क्षेत्र के पुलिस विभाग का प्रमुख होता है।
भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी (D.M.) के पास पुलिस पर नियत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अतिरिक्त, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियाँ प्रदान करता है। साधारण शब्दों में कहा जाये तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नही हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश तहत ही कार्य करते हैं परन्तु पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारिओं को मिल जाते हैं।
बड़े शहरों में अक्सर अपराधिक गतिविधियों की दर भी उच्च होती है। ज्यादातर आपातकालीन परिस्थतियों में लोग इसलिए उग्र हो जाते हैं क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी। इस सिस्टम से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के पास सीआरपीसी के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होते है। साथ ही साथ कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी बढ़ जाती है। दिन के अंत में पुलिस कमिश्नर, जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक को अपने कार्यों की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव (गृह मंत्रालय) को देनी होती है, इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव को जाती है।

