Krishna Janmashtami Vrat Katha: कल मनाई जाएगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी, क्या आप रख रहें हैं उपवास? तो जरूर करें ये पाठ

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Krishna Janmashtami Vrat Katha

Krishna Janmashtami Vrat Katha: कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन उपवास रखने वालों को भी और जो लोग उपवास नहीं रख पा रहे हैं उनको भी कृष्ण जन्माष्टमी की व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखता है और व्रत कथा का पाठ करता है उसके सभी पापों का अंत होता है। भगवान कृष्ण की भी विशेष कृपा ऐसे व्यक्ति पर बनी रहती है। आइए अब जान लेते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की व्रत कथा क्या है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा (Krishna Janmashtami Vrat Katha)

जन्माष्टमी से जुड़ी धार्मिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में कंस नाम का एक राजा हुआ जो अत्यंत क्रूर और अत्याचारी था। कंस के पिता उग्रसेन अपने पुत्र की रीति-नीतियों से बेहद दुखी थे। जब उन्होंने कंस को सबक सिखाने की कोशिश की तो कंस ने पिता को गद्दी से हटाकर खुद को ही राजा घोषित कर दिया। गद्दी पर बैठने के बाद मथुरा के लोगों पर कंस ने और अधिक अत्याचार करना शुरू कर दिया।

बहन से कंस का प्रेम 

Krishna Janmashtami Vrat Katha: कंस भले ही बेहद अत्याचारी राजा था लेकिन अपनी बहन देवकी से वो अत्यंत प्रेम करता था। उसी ने वासुदेव से देवकी का विवाह भी तय किया और विवाह के बाद रथ पर बैठाकर देवकी को वासुदेव के घर ले जाने लगा। हालांकि रास्ते में हुई एक भविष्यवाणी ने देवकी और वासुदेव के जीवन की कायापलट कर दी।

रास्ते में हुई आकाशवाणी 

Krishna Janmashtami Vrat Katha: कंस जब देवकी और वासुदेव के साथ रथ पर बैठकर आगे बढ़ रहा था तो आकाशवाणी हुई- अरे मुर्ख जिस बहन को तो बड़े प्रेम से विदा कर रहा है उसी की आठवीं संतान तेरी मृत्यु का कारण बनेगी। इसके बाद कंस क्रोध में आ गया और उसने वासुदेव को मारने का प्रयास किया।

हालांकि देवकी ने यह कहकर वासुदेव को बचा लिया कि वो अपनी हर संतान को पैदा होते ही कंस के हवाले कर देगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। कंस से किए वादे के चलते एक के बाद एक 7 संतानों को देवकी ने कंस को सौंप दिया और कंस ने निर्ममता से उनकी हत्या कर दी।

भगवान कृष्ण ने लिया आठवीं संतान के रूप में जन्म 

Krishna Janmashtami Vrat Katha: जब देवकी की आठवीं संतान के पैदा होने का समय आया तो कंस ने कारागार के आसपास कड़ा पहरा कर दिया। भगवान कृष्ण के जन्म से पहले भगवान विष्णु ने देवकी और वासुदेव के सपने में आकर उन्हें मनुष्य अवतार में आने की बात कही। साथ उन्होंने कहा कि जन्म के बाद मुझे नन्द और यशोदा के पास लालन-पालन के लिए आप छोड़ दें। जब देवकी की संतान होने वाली थी उसी समय यशोदा भी बच्चे को जन्म देने वाली थी।

श्रीकृष्ण का जन्म 

Krishna Janmashtami Vrat Katha: भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की रात्रि में देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया। भगवान की कृपा से उस दौरान कारागार के सभी पहरेदार मूर्छित हो गए जिसके चलते वासुदेव भगवान कृष्ण को सूप में लिटाकर उन्हें नन्द के घर ले जाने लगे। रास्ते में यमुना को उन्होंने पार किया जिसमें शेषनाग ने भी उनकी मदद की। वासुदेव जब गोकुल पहुंचे तो बाल कृष्ण को नंद के घर सुलाकर यशोदा की पुत्री माया को अपने साथ ले आए।

कंस ने यशोदा की पुत्री को देवकी की संतान समझकर उसे मारने का प्रयास किया लेकिन वह शिशु कंस के हाथ से छूटकर दिव्य प्रकाश बन गया। इसी प्रकास से फिर आकाशवाणी हुई कि- तू मुझे जो समझकर मारना चाहता है वो तो सुरक्षित गोकुल पहुंच गया है और वही तेरा नाश करेगा। इसके बाद माया अंतर्ध्यान हो गई।

कंस का वध 

Krishna Janmashtami Vrat Katha: भगवान कृष्ण ने युवा अवस्था में कंस का वध किया और मथुरा के लोगों को उसके अत्याचार से छुटकारा दिलाया। अपने संपूर्ण जीवनकाल में भगवान कृष्ण ने कई लीलाएं रची और गीता के उपदेश से दुनिया को नया ज्ञान प्रदान किया।

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