दंतेवाड़ा, 9 जुलाई| Dantewada Maoist Surrender 2025 : छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में शांति की ओर एक और बड़ा कदम उठाते हुए, 30 वर्षों से सक्रिय 8 लाख के इनामी माओवादी चंद्रन्ना समेत 12 हार्डकोर नक्सलियों ने बुधवार को दंतेवाड़ा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इसी के साथ, लोन वर्राटू अभियान ने ऐतिहासिक 1000 सरेंडर की उपलब्धि भी हासिल कर ली है।
सरेंडर करने वालों में कौन-कौन?(Dantewada Maoist Surrender 2025)
चंद्रन्ना उर्फ बुरसू पुनेम – 30 साल से सक्रिय, DVCM, DKAMS अध्यक्ष, ₹8 लाख इनामी
अमित उर्फ हिंगा बारसा – मोहला-मानपुर मुठभेड़ में शामिल, कंपनी नंबर-10 का सदस्य, ₹8 लाख इनामी
अरुणा लेकाम – हिंगा की पत्नी, एसीएम, DK मेडिकल टीम में थी, ₹5 लाख इनामी
देवा कवासी – प्लाटून 32, सेक्शन कमांडर, ₹3 लाख इनामी
राजेश मड़काम, पायके ओयाम, कोसा सोढ़ी, महेश लेकाम, राजू करटाम, हिड़मे कोवासी, जीबू ओयाम, अनिल लेकाम – विभिन्न क्षेत्रों से सक्रिय सदस्य
सरेंडर का आंकड़ा पार — ये सिर्फ संख्या नहीं, बस्तर की बदलती तस्वीर है(Dantewada Maoist Surrender 2025)
2020 में शुरू किए गए “लोन वर्राटू” यानी ‘घर लौट आइए’ अभियान के तहत अब तक कुल 1005 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिनमें 249 इनामी माओवादी भी शामिल हैं। इस अभियान की विशेषता यह है कि यह केवल पुनर्वास नहीं, मानवता का पुनर्जागरण है।
क्यों छोड़ी बंदूक? — खुद चंद्रन्ना और हिंगा ने खोला राज(Dantewada Maoist Surrender 2025)
लगातार मुठभेड़ों में साथी मारे जा रहे थे, संगठन कमजोर हो चुका है
पुलिस और सुरक्षाबलों का दबाव इतना अधिक है कि जंगलों में टिकना मुश्किल हो गया है
मुख्यधारा में लौटने का निर्णय जीवन बचाने और परिवार की खातिर लिया
क्या मिलेगा सरेंडर करने वालों को?(Dantewada Maoist Surrender 2025)
घोषित इनाम की पूरी राशि
स्वरोजगार, स्किल ट्रेनिंग, और सरकारी मदद
सुरक्षा व्यवस्था और पुनर्वास विकल्प, चाहे वे गांव में रहें या लोन वर्राटू हब में