CG News: भारतीय थल सेना से सेवानिवृत्त हुए जवान चितरंजन प्रसाद रात्रे का शुक्रवार को उनके पैतृक गांव जोरा में अभूतपूर्व स्वागत किया गया। पठानकोट स्थित चामुंडा देवी की नगरी मैमोन कैंट से सेवा पूरी कर लौटे रात्रे का स्वागत देखने हजारों ग्रामीण उमड़े। गांव और नगर भारत माता की जय और वंदेमातरम के नारों से गूंज उठा।
डीजे-बाजा और पुष्पवर्षा से हुआ स्वागत (CG News)
भटगांव से लेकर सैनिक चितरंजन प्रसाद रात्रे के घर तक ग्रामीणों और युवाओं ने जनरैली निकाली। जगह-जगह पुष्पवर्षा, माला पहनाकर और डीजे-बाजा के साथ उनका अभिनंदन किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि “चितरंजन प्रसाद रात्रे हमारे लिए न केवल गर्व की अनुभूति का प्रतीक हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं।”
चित्रंजन प्रसाद रात्रे के स्वागत समारोह में नगरवासियों ने कहा कि उनकी प्रेरणा से आज कई युवा भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने की तैयारी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने पलक-पांवड़े बिछाकर अपने माटी के लाल का सम्मान किया।
2004 में जॉइन की थी सेना
रिटायर्ड हवलदार चितरंजन प्रसाद रात्रे का जन्म जोरा ग्राम में हुआ। पिता साहेब रात्रे और माता गौतरहींन रात्रे के पुत्र चित्रंजन ने प्राथमिक शिक्षा जोरा में तथा हाईस्कूल की पढ़ाई भटगांव से की। वर्ष 2004 में उन्होंने भारतीय सेना जॉइन की और देश के कई हिस्सों में सेवा दी। 21 साल तक राष्ट्र रक्षा करने के बाद अब वे रिटायर होकर गांव लौटे हैं। क्षेत्रीय विधायक कविता प्राण लहरे ने भी चितरंजन प्रसाद रात्रे के घर पहुंच कर उन्हें सम्मानित किया और शुभकामनाएं दी। वहीं चितरंजन प्रसाद रात्रे के भतीजे सुनील कुमार खाण्डेकर, यंगेश कुमार रात्रे, भाई चंद्रशेखर बंजारे ने भी चितरंजन प्रसाद रात्रे को पुष्प और श्रीफल भेंटकर स्वागत अभिनंदन किया।
युवाओं को सेना में आने का आह्वान
सेवानिवृत्ति के बाद मिले सम्मान से अभिभूत चितरंजन प्रसाद रात्रे ने कहा कि मैंने 21 साल तक देश की सेवा की और अब रिटायरमेंट के बाद घर लौटा हूं। गांववालों के स्नेह और सम्मान से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मैं सभी युवाओं से कहना चाहता हूं कि भारतीय सेना जॉइन करें। आर्मी न केवल देश की सुरक्षा और सेवा का अवसर देती है, बल्कि हर क्षेत्र में काम करने का तरीका भी सिखाती है।