UP Latest News: लखनऊः यूपी में मंत्रियों और विधायकों को अब ज़्यादा सैलरी और ज़्यादा भत्ते मिलेंगे। गुरुवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश राज्य विधान मंडल सदस्य और सुख सुविधा विधि (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी मिल गई। मंत्रियों की सैलरी 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये महीने की गई है। जबकि विधायकों को 25 हजार रुपए की जगह अब 35 हजार रुपये हर महीने सैलरी मिलेगी। विधायकों का चिकित्सीय भत्ता भी 30000 से बढ़ाकर 45 हज़ार किया गया है। यूपी में मंत्रियों को करीब 78 हज़ार रुपये महीने और विधायकों को करीब 68000 रुपये ज़्यादा मिलेंगे।
विधायकों का भत्ता भी बढ़ाया गया (UP Latest News)
हर विधायक को निर्वाचन क्षेत्र भत्ता पहले 50 हज़ार रुपये महीना मिलता था, जो अब बढ़ा कर 75 हज़ार रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा पहले रेलवे के कूपन हर साल चार लाख 25 हज़ार रुपये के मिलते थे जो बढ़ाकर 5 लाख कर दिए गए हैं। टेलीफोन भत्ता 6 हज़ार से बढ़ाकर नौ हजार कर दिया गया है। विधायकों को हर महीने 30 हज़ार रुपये सचिव भत्ता मिलेगा।
अब कितना मिलेगा वेतन
UP Latest News: जानकारी के अनुसार, अब विधायकों को वेतन के तौर पर 2.01 लाख रुपये प्रति माह से बढ़कर 2.66 लाख प्रति महीने मिलेंगे। मंत्रियों को 2.11 लाख प्रति माह की जगह अब 2.76 लाख रुपये प्रति माह मिलेंगे। सदन और समितियों की बैठकों के दौरान 2000 प्रति दिन से बढ़कर 2500 रुपये मिलेंगे। सदन के सत्र में न होने या समिति की बैठक न होने पर सार्वजनिक सेवा के लिए 1500 प्रति दिन से 2000 रुपये प्रति दिन मिलेंगे।
पूर्व विधायकों की भी पेंशन बढ़ी
UP Latest News: पूर्व विधायको की पेंशन भी न्यूनतम 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रुपये महीने की गई है। सैलरी और पेंशन 40 फीसदी बढ़ाई गई है। नई दर 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। सरकार का कहना है कि विधायकों और मंत्रियों की सैलरी 9 साल बाद बढ़ाई गई है। इससे सरकार पर 105.21 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
सरकार पर 105.23 रुपये करोड़ का बोझ पड़ेगा
UP Latest News: राज्य सरकार पर अब संशोधित वेतन और भत्तों पर 105.23 रुपये करोड़ का बोझ पड़ेगा। सरकार का कहना है कि राज्य विधानमंडल के सदस्यों और मंत्रियों को मिलने वाले वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य सुविधाओं में लंबे समय से संशोधन नहीं किया गया था। बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए, इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया गया है ताकि वे अपने संसदीय क्षेत्र के हित में सार्थक सेवा कर सकें।
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