Government vehicles breakdown : छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी सेवाएं देने वाले वाहन खुद ही जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं। राजधानी समेत विभिन्न जिलों में डायल-112 और एंबुलेंस वाहन चार लाख किलोमीटर से अधिक चल चुके हैं, जबकि परिवहन विभाग के नियमानुसार ऐसे वाहनों को कंडम घोषित किया जाना चाहिए था। बावजूद इसके ये वाहन अब भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं और समय पर सेवा देने में असमर्थ साबित हो रहे हैं।
साल 2018 में प्रदेश के 11 जिलों में डायल-112 सेवा शुरू की गई थी। इसके लिए 2017 में कुल 252 गाड़ियां खरीदी गई थीं। अब ये गाड़ियां 8 साल पुरानी हो चुकी हैं और कई वाहन अपनी अधिकतम क्षमता से दोगुना दूरी तय कर चुके हैं। इसके बावजूद इन्हें अभी तक बदला नहीं गया है।
भिलाई में डायल-112 की गाड़ी से निकला पहिया
भिलाई में एक इमरजेंसी कॉल पर रवाना हुई डायल-112 की गाड़ी का पहिया चलते समय ही निकल गया, जिससे वाहन पलटने की स्थिति बनी। हादसे में पुलिसकर्मी और ड्राइवर घायल हो गए। उन्हें अन्य गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया गया।
रायपुर में थानों की गाड़ियां बीच रास्ते में हो रहीं बंद
रायपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में पेट्रोलिंग के दौरान थाने की गाड़ी अचानक बंद हो गई। वाहन को रातभर सड़क किनारे खड़ा रखना पड़ा। प्रभारी को दूसरी गाड़ी के लिए कई बार उच्च अधिकारियों से अनुरोध करना पड़ा। इसी तरह खरोरा से कोर्ट ले जाते समय एक अन्य गाड़ी भी रास्ते में खराब हो गई।
गाड़ियों की हालत बेहद खराब, फिर भी सेवा में तैनात
रायपुर में 52 डायल-112 गाड़ियां और 40 थानों की पेट्रोलिंग गाड़ियां हैं। अधिकांश वाहन ओवरलोड और खराब स्थिति में हैं। मंदिर हसौद क्षेत्र में चलाई जा रही एक गाड़ी 4.24 लाख किलोमीटर चल चुकी है। डीडी नगर में तैनात वाहन की दूरी 3.39 लाख किलोमीटर दर्ज की गई है। (Government vehicles breakdown)
एम्बुलेंस सेवाएं भी चरमराईं
108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा जय अंबे कंपनी संचालित कर रही है, वहीं 102 महतारी एक्सप्रेस और 1099 शव वाहन सेवा कैंपस कंपनी के अधीन है। इन सेवाओं की भी हालत चिंताजनक है। कई बार मरीजों को बीच रास्ते में दूसरी गाड़ी में शिफ्ट करना पड़ रहा है क्योंकि एंबुलेंस अचानक बंद हो जाती हैं। (Government vehicles breakdown)
आरटीओ के नियमों का नहीं हो रहा पालन
परिवहन विभाग के अनुसार, किसी भी गाड़ी की औसतन अधिकतम वैधता 1.80 से 2 लाख किलोमीटर अथवा 15 वर्ष होती है। इसके बाद वाहन को कंडम घोषित कर सेवा से हटाया जाना चाहिए। हालांकि, यह नियम सरकारी तंत्र में लागू नहीं हो रहा है। (Government vehicles breakdown)